नई दिल्ली: यहां 8-9 अक्टूबर को मुंबई में आयोजित भारत-ब्रिटेन सीईओ फोरम में दोनों देशों की उद्योग जगत की हस्तियां नए भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) से सामने आए अवसरों की तलाश के लिए इकट्ठा हुईं। विशिष्ट प्रतिभागियों में जीजेईपीसी के अध्यक्ष श्री किरीट भंसाली भी शामिल थे, जिन्होंने इस उच्च-स्तरीय बैठक में भारत के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस दो दिवसीय फोरम में मुख्य रूप से इस बात पर ध्यान दिया गया कि मई 2025 में हस्ताक्षरित सीईटीए के तहत ब्रिटेन को भारत से होने वाले 99% निर्यात और भारत को ब्रिटेन से होने वाले 90% निर्यात पर से टैरिफ (शुल्क) हटाकर द्विपक्षीय व्यापार को कैसे नया रूप दिया जाएगा।
ये लोग हुए शामिल
भंसाली ने “वृद्धि और रोज़गार के लिए भारत-ब्रिटेन सीईटीए का लाभ उठाने” पर बात की, जिसमें उदय कोटक, करण राठौर, दिलीप सांघवी, नरेन गोयनका, अनिल अग्रवाल, हरीश आहूजा, भद्रेश डोढिया और नमित जोशी जैसे प्रमुख भारतीय उद्योग जगत हस्तियां शामिल थीं। सभी ने इस बारे में अपने विचार साझा किए कि यह समझौता किस तरह प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकता है और प्रमुख क्षेत्रों में रोज़गार पैदा कर सकता है।
इस फोरम की सह-अध्यक्षता भारती एंटरप्राइज़ेज़ के संस्थापक एवं अध्यक्ष श्री सुनील भारती मित्तल और स्टैंडर्ड चार्टर्ड के समूह मुख्य कार्यकारी, श्री बिल विंटर्स ने की, जिसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव, श्री अमरदीप सिंह भाटिया सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित किया।
किरीट भंसाली ने सीईओ फोरम को संबोधित करते हुए रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के दृष्टिकोण को रेखांकित किया: “भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो अपार वृद्धि के अवसर पेश करेगा और हमारे वैश्विक नेतृत्व को सुदृढ़ करेगा। ब्रिटेन को होने वाला निर्यात तीन साल के भीतर दोगुने से भी अधिक बढ़कर 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर होने के बीच, यह साझेदारी न केवल व्यापार को बढ़ावा देगी, बल्कि 140,000 से अधिक नए रोज़गार भी पैदा करेगी, जिससे सभी प्रमुख क्षेत्रों के कारीगरों, निर्माताओं और निर्यातकों को सीधा लाभ होगा। यह मुक्त व्यापार समझौता हीरे, सोने, चांदी और प्रयोगशाला में तैयार पत्थरों के क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति को मज़बूत करता है, साथ ही ब्रिटेन के खुदरा विक्रेताओं के साथ बेहतर बाज़ार पहुंच और गठजोड़ में मदद करता है। जीजेईपीसी में हम इस ऐतिहासिक समझौते का लाभ उठाकर उद्योग और उस पर निर्भर लाखों लोगों के लिए नवोन्मेष, रोजगार और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
भंसाली की उपस्थिति ने भारत के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए, वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस उद्योग की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया। टैरिफ (शुल्क) बाधाओं में ढील और बाज़ार पहुंच के विस्तार के साथ, ब्रिटेन निर्यात वृद्धि, डिज़ाइन सहयोग और प्रौद्योगिकी-संचालित मूल्य संवर्धन की बड़ी संभावनाएं पेश करता है। सीईटीए इस गति को बढ़ाने और भारत-ब्रिटेन व्यापार संबंध के भविष्य को आकार देने में भारत के रत्न और आभूषण उद्योग को अपेक्षाकृत अधिक प्रमुख भूमिका प्रदान करेगा।







